होप इनिशिएटिव द्वारा तनाव पर कार्यशाला का आयोजन

लखनऊ: होप (हेल्‍थ ओरिएन्‍टेड प्रोग्राम्‍स एंड एजूकेशन) इनेशियेटिव द्वारा गोमती नगर स्थित पर्यटन भवन के प्रेक्षागृह  में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में  उत्‍तर गुड़गांव के फोर्टिस अस्‍पताल की कन्‍सल्‍टेंट क्‍लीनिकल साइकोलॉजिस्‍ट कृतिका सक्‍सेना और होप के संस्‍थापक डॉ जी चौधरी ने अपने अनुभव को छात्रों के साथ साझा किया|

अक्‍सर माता-पिता को शिकायत रहती है कि उनके बच्‍चे मन लगाकर पढ़ाई नहीं करते हैं, माता-पिता ही नहीं बच्‍चे स्‍वयं भी महसूस करते हैं कि उनका ध्‍यान पढ़ाई में नहीं लग पा रहा है।

कृतिका ने बताया कि नींद पूरी लें लेकिन उसके लिए भी एक समय निर्धारित कर लें क्‍योंकि बॉडी की एक साइकिल होती है| उसके अनुसार अगर कार्य नहीं होता है तो नुकसान होता है। इसी तरह अपने खाने का ध्‍यान रखें, इसके अतिरिक्‍त अपनी दिनचर्या में ध्‍यान और व्‍यायाम को जरूर समय दें।

डॉ चौधरी ने कार्यशाला की शुरुआत में कहा कि परीक्षा के समय तनाव होना एक आम बात है। लेकिन अगर प्रबंधन सही ढंग से किया जाये तो तनाव को निश्चित रूप से समाप्‍त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर आप अपने वर्कप्‍लेस पर बस से जाते हैं तो बस में ही आप अपनी सीट पर बैठ कर ही आंखें बंद कर मेडीटेशन कर सकते हैं।

डॉ चौधरी ने नर्सिंग के छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि उनको हर हाल में अपने आपको दुरुस्‍त रखना होगा क्‍योंकि उनके साथ मरीज का स्‍वास्‍थ्‍य भी जुड़ा है, इसीलिए बहुत सी चुनौतियों को स्‍वीकार करना होगा|

कृतिका सक्‍सेना के अनुसार बहुत सी दिक्‍कतें मनोवै‍ज्ञा‍निक के साथ काउंसलिंग से ठीक हो जाती हैं लेकिन अगर फि‍र भी ठीक न हों तो मनोचिकित्‍सक से मिलना ठीक रहता है क्‍योंकि हो सकता है उसे दवाओं की जरूरत हो। उन्होंने यह भी बताया कि जब भी तनाव हावी होने लगे तो दो बार गहरी-गहरी सांस ले| साथ ही उन्होंने एकाग्रता हासिल करने के लिए टिप्‍स भी दिए|

कृतिका ने बताया कि विज्ञान में यह साबित हो चुका है कि मनुष्‍य की एकाग्रता ४० से ५० मिनट तक ही रहती है, इसके बाद ध्‍यान इधर-उधर जाता ही है जैसे कोई अंगड़ाई लेता है, कोई टहलने लगता है, इसलिए इसे लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है। थोड़े समय बाद पढ़ाई में फि‍र से ध्‍यान लगा लेना चाहिये।

इस कार्यशाला के प्रथम सत्र में शहर के लगभग २० विद्यालयों के २५० छात्र-छात्राओं ने तथा दूसरे सत्र में १५ नर्सिग कालेजों के इतने ही विद्यार्थीयों ने प्रतिभाग किया। इन बच्चों को तनाव और उसके निराकरण हेतु अनेक टिप्स इस कार्यशाला में दिए गए|

इस अवसर पर करियर काउंसलर सत्येन्द्र कुमार सिंह ने विद्यार्थियों को एग्जाम के समय में होने वाले तनाव के प्रबन्धन के बारे में बताया| डॉ. संचिता घटक ने समय के उचित प्रबन्धन से तनाव को दूर करने के बारे में चर्चा किया|

होप संस्था बच्चों के द्वारा पूरे समाज को स्वास्थ के प्रति जागरूक बनाने एवं उनमें स्वास्थ्य संबन्धी आदतें विकसित करने हेतु तत्पर है।

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